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तुम काम भी कर रहे हो या झूठ बोल रहे ,अधिकारी पिकनिक मना रहे,अंदर फंसे मजदूरों का टूट रहा हौंसला: सिलक्यारा टनल

तुम काम भी कर रहे हो या झूठ बोल रहे ,अधिकारी पिकनिक मना रहे,अंदर फंसे मजदूरों का टूट रहा हौंसला:  सिलक्यारा सुरंग में अटके मजदूर।

सिलक्यारा सुरंग धसने और उसमें अटके मजदूरों और बाहर से उनके साथी सहित परिजनों का सब्र का बांध अब टूटता जा रहा है.
सुरंग में अंदर फंसे मजदूर,अपने साथियों से पूछ रहे है कि हमें बाहर निकालने के लिए तुम काम कर भी रहे हो या झूठ बोल रहो हो. यह सुरंग में काम करने वाले लोडर ऑपरेटर ने एक दैनिक अखबार को दिए इंटरव्यू में दी है.

मजदूरों ने बताया कि सुरंग के अंदर की स्थिति अच्छी नहीं है. बताया कि एक सप्ताह का समय हो गया है, लेकिन अंदर फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए खास काम नहीं हुआ है. बताया कि वह झूठ बोल बोलकर उन्हें यह कहते हैं कि मशीन लगा हुआ है, तुम्हें जल्द बाहर निकाल दिया जाएगा,लेकिन उनका हौसला टूट रहा है.

अंदर फंसे मजदूर कहते हैं कि सूखा खाने पर वह कब तक जीयेंगे। तुम काम कर भी रहे हो या झूठ बोल रहे हो.बताया कि उन्हें भी स्थिति का अंदाजा है, इसलिए वह कितना झूठ बोल सकते हैंं.कहा कि मेट मशीन आए तो कुछ हो सकता है.

बिहार के रहने वाले चंदन महतो ने कहा कि इसमें फंसे लोगों को बचाने का एक ही तरीका है, मैट मशीन लाया जाए, ऊपर से ड्रिल किया जाए या फिर साइड से कटिंग की जाए. उन्होंने कहा कि
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में 41 मजदूर पिछले 7 दिन से फंसे हुए हैं. उन्हें टनल के अंदर ही खाना, पानी और ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है, लेकिन अब 41 मजदूरों के सहकर्मियों और परिजनों के सब्र का बांध टूट गया है. टनल में फंसे इन मजदूरों के साथियों ने शनिवार को जमकर हंगामा किया. उन्होंने कहा कि हमारे भाई सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं. यहां सर्फ एक्सपेरीमेंट किया जा रहा है. मजदूरों को निकालने का काम नहीं किया जा रहा.अगर लोगों को निकालने का काम किया जाता, तो अब तक हमारे भाइयों को निकाल लिया गया होता. साथ ही कहा कि बैक सपोर्ट के लिए भी यहां कोई मशीनरी नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर सुरंग की साइड से कटिंग की जाती तो लोग बाहर आ जाते.

मजदूरों की संख्या बढ़ी,40 से 41 हुए,लापरवाही

वहीं अभी तक कंपनी तक 40 मजदूरों के होने की जानकारी दी गई थी,लेकिन अब मजदूरों की संख्या बढ़कर 41 हो गई है.
41वें मजदूर दीपक कुमार जो कि मुजफ्फरपुर बिहार से हैं और  बूमर मशीन ऑपरेटर है,इसके बारे में अब कंपनी प्रबंधन द्वारा प्रशासन को सूचना दी गई है.
दीपक ने अपने परिजनों से पाइप से बातचीत में बताया कि उसका पेट नहीं भर रहा, उसे जल्दी बाहर निकालो.

अधिकारी पिकनिक मना रहे हैं अंदर फंसे मजदूरों का हौंसला टूट रहा !

शुरू में कंपनी प्रबंधन दीपक कुमार को लेकर इन्कार करता रहा, लेकिन शुक्रवार को कंपनी प्रबंधन ने जिला प्रशासन को दीपक के सुरंग में फंसे होने की जानकारी दी.वहीं साथियों की सूचना पर दीपक के चाचा कृष्णा पटेल को दी,जो अब अंदर फंसे श्रमिकों के साथ,दीपक का बाहर आने का इंतजार कर रहे हैं.
वहीं अंदर फंसे मजदूरों के साथी अब यह भी कह रहे हैं कि
अधिकारी पिकनिक मना रहे हैं और अंदर फंसे उनके साथियों का हौसला अब टूट रहा है और वह रो रहे हैं. कहा कि एक मशीन फेल हो रही है तो दूसरी आती है. अंदर फंसे आदमी को कैसे समझाएं.वह तो यही कहते हैं कि हमको निकाल लो भाई.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पहुंचे साइट पर,मजदूरों को निकालना हमारी प्राथमिकता

वहीं आज सिलक्यारा पहुंचे  केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि "पिछले 7-8 दिनों से हम पीड़ितों को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं.उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकालना उत्तराखंड सरकार और भारत सरकार की प्राथमिकता है.  उन्होंने यहां काम करने वाले संबंधित अधिकारियों के साथ घंटे भर बैठक की है.हम छह वैकल्पिक विकल्पों पर काम कर रहे हैं और भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियां यहां काम कर रही हैं. पीएमओ से भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सुरंग विशेषज्ञों और बीआरओ अधिकारियों को भी बुलाया गया है.हमारे पहली प्राथमिकता फंसे हुए पीड़ितों को भोजन, दवा और ऑक्सीजन उपलब्ध कराना है.

आस्था का सहारा, बौखनाग देवता का मंदिर पुनर्स्थापित किया गया

क्षेत्रीय ग्रामीणों द्वारा आस्था से खिलवाड़ को लेकर मंदिर को हटाने  को लेकर विरोध जताने पर और ग्रामीणों के दबाव में अब कंपनी प्रबंधन ने सुरंग के बाहर बौखनाग देवता का मंदिर पुनः स्थापित किया है.पहले इस मंदिर को हटाकर सुरंग के अंदर कोने में स्थापित किया गया था. शनिवार को यहां पुजारी को बुलाकर विशेष पूजा करवाई गई.

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